BAGLAMUKHI SADHNA FOR DUMMIES

baglamukhi sadhna for Dummies

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एवं ध्यात्वा परेशानि! बगला-कवचं स्मरेत् ।।४ श्रीबगला-खड्ग-माला-स्तोत्रोक्त्त ध्यान

२०. ॐ ह्लीं श्रीं घं श्रीभगोदर्यै नमः – दक्ष-करांगुलि-मूले (दाएँ हाथ की अँगुलियों की जड़ में)।

बिम्बोष्ठीं कम्बु-कण्ठीं च, सम-पीन-पयोधराम् । पीताम्बरां मदाघूर्णां, ध्याये ब्रह्मास्त्र – देेेवताम् ।।

पीताम्बर-धरां सौम्यां, पीत-भूषण-भूषिताम् । स्वर्ण-सिंहासनस्थां च, मूले कल्प-तरोरधः ॥

क्रोधी शान्तति दुर्जनः सुजनति क्षिप्रानुगः खंजति।।

नानाभरण-भूषाढ्यां, स्मरेऽहं बगला-मुखीम्।।

ह्लीं बगलामुखी विद्महे दुष्टस्तंभनी धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्॥

विनियोग- ॐ अस्य श्रीबगला-मुखी-कवचस्य श्रीशिव ऋषिः , पंक्ति: छन्द: श्रीबगला-मुखी देवता, धर्मार्थ-काम-मोक्षेषु पाठे विनियोग: ।

‘विजय’ प्राप्त होती है और ‘पत्नी’ पुत्र-वती होती है।

भगवती के ‘बगला-मुखी’ इस संज्ञा नाम की सिद्धि पर वैयाकरण लोग आपत्ति करते हैं कि यह नाम अशुद्ध है क्योंकि ‘नख-मुखात् संज्ञायाम्’ इस सूत्र से डीष्’ प्रत्यय का निषेध होकर आ-प्रत्यय होकर ‘बगला-मुखा’ ही नाम शुद्ध है, परन्तु ‘स्वाङ्गाच्चोपसर्जनादसंयोगोपधात्’ इस सूत्राधिकार से उक्त सूत्र की प्रवृत्ति होती है। यहाँ ‘मुखी’ शब्द स्वाङ्ग-वाची नहीं है। बगला के नि:सारण में ही ‘मुख’ शब्द का प्रयोग है। ‘मुखं निःसरणम् इत्यमरः’ तथा ‘मुखमुपाये प्रारम्भे श्रेष्ठे निःसरणास्ययोः इति हैमः ‘। उपाय, प्रारम्भ, श्रेष्ठ, नि:सरण और मुख के अर्थ में ही ‘मुख

स्वाहा’ मे सर्वदा पातु, सर्वत्र सर्व-सन्धिषु ।।३

नानालङ्कार – शोभाढ्यां, नर-नारायण – प्रियाम् ।

८. श्रीकाल-कर्षिण्यै नमः काल को कर्षित baglamukhi sadhna (नियन्त्रित) करनेवाली को नमस्कार।

हेम-कुण्डल-भूषां च, पीत-चन्द्रार्ध-शेखराम् । पीत-भूषण-भूषाढ्यां, स्वर्ण-सिंहासने स्थिताम् ।।

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